Wednesday 2 May 2012

अलविदा जोहरा जबीं



ऐ मेरी जोहरा जबीं तुङो मालूम नहीं, तू अब तक हसी और मैं जवां..। यह गाना तो हर पीढ़ी को लुभाता रहा है। इस गाने की जोहरा यानी की अचला सचदेव का सोमवार को निधन हो गया। देर शाम जब यह खबर सुनी, तो एक पल के लिए स्तब्ध रह गई। अचला द्वारा अभिनीत कई किरदार आंखों के सामने घूम गए। अचला का पुणो अस्पताल में पिछले 6 महीने से इलाज चल रहा था। वे 91 साल की थी। दरअसल सितंबर 2011 में काम करते वक्त अचला गिर पड़ी थीं। इससे उनकी बाईं टांग टूट गई थी और सिर में चोट लगने के कारण उनके दिमाग में इंफेक्शन हो गया था। इंफेक्शन की वजह से अचला की आंखों की रोशनी भी चली गई थी। और वह चल-फिर नहीं पा रही थीं।
अचला का जन्म पेशावर में तीन मई 1920 को हुआ था। उन्होंने एक बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। बतौर अभिनेत्री अचला की पहली फिल्म 1938 में आई फैशनेबल वाइफ थी। अचला ने बॉलीवुड में लगभग 150 फिल्में की। उनकी अंतिम फिल्म 2002 में ऋतिक रोशन द्वारा अभिनीत ‘न तुम जानो न हम’ थी। अचला ने यशराज बैनर की कई फिल्मों में काम किया। हिंदी के अलावा अंग्रेजी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। जिनमें 1963 में मार्क रोबसन की फिल्म ‘नाइन ऑवर्स टू रामा’ और मरचेंट इबोरी की फिल्म ‘द हाउसहोल्डर’ प्रमुख हैं। मगर बाद में अचला बॉलीवुड में गुमनामी के अंधेरे में खो गईं।
अपने फिल्मी करियर में उन्होंने सबसे ज्यादा मां का किरदार अदा किया। इसी वजह से अचला को बॉलीवुड की मां भी कहा जाता था। अचला ने देवानंद अभिनीत फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ में देवानंद की मां का किरदार अदा किया था। इसके अलावा 2001 में आई फिल्म ‘कभी खुशी, कभी गम’ में अमिताभ बच्चन की मां और 1995 में आई फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में काजोल की दादी के किरदार के लिए याद किया जाता है। मगर इसे भाग्य की विडंबना ही कहा जाएगा कि बॉलीवुड की इस मां का भरा-पूरा परिवार है। एक बेटी और बेटा है, मगर उनके अंतिम दिनों में कोई भी उनके पास नहीं था। उनके बेटे और बेटी भी उनके साथ नहीं रहते थ्बॉलीवुड तो जैसे अपनी इस मां को  भूल ही गया था। अस्पताल में इंडस्ट्री से कोई भी उनसे मिलने नहीं पहुंचा। अपनी ममता के आंचल में कई किरदारों को पालने वाली यह मां अपने अंतिम समय में बिल्कुल अकेली थी। केवल उनके पारिवारिक मित्र राजीव नंदा ही उनकी नियमित देखभाल कर रहे थे।
अचला कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़ी हुई थीं। उन्होंने अपनी पूरी दौलत सामाजिक संगठनों को दान कर दी थी। जनसेवा फाउंडेशन को तो उन्होंने बीस लाख रुपये नगद और पुणो में अपना निवास 2बीएचके अपार्टमेंट भी दान कर दिया था। अचला के लिए बस इतना ही कहा जा सकता है कि जोहरा जबी चली गईं, मगर उनके द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा यादों में जिंदा रहेंगे। अलविदा बॉलीवुड की जोहरा जबीं और मां।

1 comment:

  1. तथ्यात्मक जानकारी के लिए बधाई। हमारे समाज की कड़वी हकीकत देखिए, अचला ने लाखों रुपए सामाजिक संगठनों को दान कर दिए लेकिन अंतिम समय में उनकी सहायता के लिए कोई नहीं पहुंचा। बड़ी सोचनीय बात है।

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